लेहरों से डरकर नौका पार नहीं होती..
हिम्मत करने वालों की कभी हार नही होती..
नन्ही चींटीं जब दाना लेकर चढती है..
चढती दीवारों पर सो बार फ़िसलती है..
मनका विश्वास रगॊं मे साहस भरता है..
चढकर गिरना, गिरकर चढना ना अखरता है..
मेहनत उसकी बेकार हर बार नहीं होती..
हिम्मत करने वालों की कभी हार नही होती..
डुबकियां सिंधुमें गोताखोर लगाता है..
जा जा कर खाली हांथ लौटकर आता है..
मिलते ना सहज ही मोती गेहरे पानी में..
बढता दूना विश्वास इसी हैरानी में..
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती..
हिम्मत करने वालों की कभी हार नही होती..
असफ़लता एक चुनौती है.. स्वीकार करो..
क्या कमी रेह गयी देखो और सुधार करो..
जब तक ना सफ़ल हो नींद-चैन को त्यागो तुम..
संघर्षोंका मैदान छोड मत भागो तुम..
कुछ किये बिना ही जयजयकार नहीं होती..
हिम्मत करने वालों की कभी हार नही होती..
Saturday, March 20, 2010
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great..........nice feeling and concept......good collection.........
ReplyDeletesaurbh ji aapka dhanyawad ki appne mere is chote se prayas ko saraha.
ReplyDeleteमैंने गाँधी को नहीं मारा इस movie में ये कविता सुनी. बहुत अच्छी लगी.
ReplyDeletepost करने के लिए आपका आभारी हूँ.