आतंक फैलाने वाले आतंकवादी कहलाते हैं
ये किसी धर्म में नहीं आते हैं
फिर हम क्यों इनका नाम सामने लातें हैं
और ये कैसी प्रथा है
जिसमें आतंकवादी का नाम लिया जाता है
और नाम आतंकवाद को किसी धर्म से जोड़ जाता है
नाम तो आतंकवादी का आता है
और घर किसी मासूम का जल जाता है
किसी का मजहब लुटता है
तो किसी का सम्मान बिकता है
फिर हम इसे क्यों बढ़ावा दे रहे हैं
और आतंकवादी को “प्रज्ञा” या “अफजल” कह रहे हैं
ये नाम ही आतंक का सबसे बड़ा पहरेदार है
जिसकी आड़ में आतंकवाद फलने फूलने को तैयार है
जब आतंकवाद का नहीं कोई सम्प्रदाय
तो फिर आतंकवादी का नाम क्यों लिया जाय
कभी मासूम लोगों को मजहब की आग में
जलते देखा है
क्या कभी किसी ने इस वजह से आप पर
पथ्हर फेका है
यदि आपने अब गौर नहीं किया तो कीजिये
और आतंकवादी का नाम लेने से खुद को रोकिये
क्योंकि नाम धर्म से जुड जाता है
और कोई गरीब अकारण ही मारा जाता है
वरना बाबरी मस्जिद और मुंबई ब्लास्ट से
लोगों की नजर शायद ही हटती
और साबरमती एक्सप्रेस के बाद
गोधरा जैसी घटना न घटती!
आज फिर इस तरह की भावना को बढ़ावा मिल रहा है
और “भगवा-आतंकवाद” के जरिये ये फूल तेजी से खिल रहा है
शायद लोगों की भावनाओं से खेलने में सरकार को मजा आता है
इसीलिए कभी “हिंदू” कभी “मुस्लिम” और कभी
“भगवा-आतंकवाद” का जिक्र किया जाता है
यदि आतंक नहीं मिटा सकते, तो सच्चाई सामने लाओ
और बेवजह कारन बताकर अपनी कमी मत छिपाओ
राजनीती के पन्नों में आतंक, भ्रष्टाचार,
और वोट बैंक जैसे शब्दों का बोलबाला है
ये संविधान का सिस्टम भी बड़ा निराला है
जहाँ संसद में पहुँचने के लिए एप्टीट्यूट टेस्ट नहीं हुआ करते
वर्ना हमारे देश के गृहमंत्री इस तरह की बयानबाजी कभी न करते !
Saturday, August 28, 2010
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Bahot gehri soch hai mitra...Atyant vicharniya kavita hai...Bahot acche.
ReplyDeletekuch sawal uth jate hai...jaise muthi me kaid ho suraj...ek chingari hi kafi hai duniya k sare aandheroon k waste......abhijeet shukla
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