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Saturday, October 30, 2010

मेरी कल्पना

तपती गर्मी में रिमझिम बारिश की फुहार हो
चंद्रमा की शीतलता और उसकी चांदनी का इजहार हो
फूलों की महकती बगिया और उसका गुलहार हो
मेरे लिए मेरी कल्पनाओं का संसार हो !

आजकल न जाने कहाँ खो जाता हूँ
तुम सपनो में आओ इसलिए जल्दी सो जाता हूँ
तुम मेरे सपनो की रानी और मेरा प्यार हो
मेरी भावनाओं का सार हो !

तुमसे बिछड़ने की कल्पना से ही बेचैन हो जाता हूँ
कोई समझ न ले मेरी बेबसी को इसलिए मुस्कुराता हूँ
तुम मेरी मुस्कराहट का आकार हो
मेरी संवेदनाओं का आधार हो !

जब से तुम्हें देखा चाँद की कमी न महसूस हुई
रात आयी और सितारों ने भी तुम्हारी खवाइश की
तुम सितारों की चमक का आधार हो
मेरी डूबी हुई नैया की मझधार हो !

जब से तुमेह देखा शारीर ने एक करवट सी ली
मेरे हृदय ने हर सांस से पहले तुम्हारे याद की उम्मीद की
तुम मेरी साँसों का परिष्कृत प्रकार हो
प्रकृति की रचनाओं का चमत्कार हो !

तुम्हारी दृष्टी से जब भी दुनिया को देखता हूँ
हर बार खूबसूरत नज़र आती है
जाने कैसे, मैं ये सोचता हूँ
तुम दृष्टियों में भी प्रथम हर बार हो !

किसी को देखता हूँ तो तुम नजर आती हो
अदा कोई भी हो बस तुम्हारी ही भाती है
तुम आदाओं का भण्डार हो
जीवन के हर पहलू में तुम हमें स्वीकार हो !

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