कहीं एक मासूम नाज़ुक सी लड़की
बहुत खूबसूरत मगर सांवली सी
मुझे अपनी ख्वाबों की बाहों में पाकर
कभी नींद में मुस्कुराती तो होगी
उसी नींद में कसमसा कसमसा कर
सिरहाने से तकिया गिरती तो होगी
चलो खत लिखें दिल में आता तो होगा
कलम हाँथ से छूट जाती तो होगी
उमंगे कलम फिर उठती तो होंगी
मेरा नाम अपनी किताबों में लिखकर
वो दाँतों तले ऊँगली दबाती तो होगी
इंतज़ार तो मेरा उनको भी होगा
ऐतबार मेरा तो उनको भी होगा
मेरे बारें में सोचकर
वो भी मुस्कुराती तो होगी
मेरी जिंदगी का खुमार हैं वो
सुंदरता का भरमार हैं वो
उनकी हर सांस में
मेरी खुशबू आती तो होगी!
Saturday, October 30, 2010
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